Friday, November 29, 2024

IPO क्या होता है? IPO से संबंधित पूरी जानकारी !

IPO (Initial Public Offering) वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से एक निजी कंपनी अपनी हिस्सेदारी को पहली बार सार्वजनिक निवेशकों को बेचती है। यानि कि जब कंपनी मार्केट में पहली बार इंटर करती है तो एक प्राइवेट हेल्ड कंपनी अपने Share पब्लिक को पहली बार ऑफर करती है तो इसे Initial public offering कहते हैं या IPO भी कहते हैं यह कंपनी के लिए स्टॉक मार्केट में एंटर करने का एक रास्ता होता है। जब तक कंपनी अपने आईपीओ ऑफर नहीं करती तब तक पब्लिक उसके शेयर नहीं खरीद सकती है। यह वह चरण है जब कंपनी स्टॉक एक्सचेंज पर (Listing) सूचीबद्ध होती है और सार्वजनिक रूप से ट्रेडिंग शुरू करती है।

IPO से संबंधित पूरी जानकारी निम्नलिखित है:

IPO क्या होता है?

• IPO एक ऐसा माध्यम है जिससे कंपनी फंड जुटाने के लिए अपने शेयर पहली बार जनता को बेचती है।

• यह प्रक्रिया कंपनी को सार्वजनिक (Public Company) में बदल देती है।

• कंपनी शेयर बाजार (Stock Market) में सूचीबद्ध हो जाती है और इसके शेयर खरीदने और बेचने योग्य हो जाते हैं।

IPO लाने का उद्देश्य

1. पूंजी जुटाना: नए प्रोजेक्ट्स, विस्तार, ऋण चुकाने या अन्य व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए।

2. प्रतिष्ठा बढ़ाना: सार्वजनिक कंपनी बनने से ब्रांड की प्रतिष्ठा और ग्राहकों में विश्वास बढ़ता है।

3. निवेशकों को लाभ देना: पहले से मौजूद निवेशकों को शेयर बेचने और मुनाफा कमाने का मौका मिलता है।

IPO कैसे काम करता है?

1. ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (DRHP): कंपनी एक ड्राफ्ट दस्तावेज़ तैयार करती है जिसमें कंपनी की वित्तीय स्थिति, उद्देश्य और जोखिमों की जानकारी होती है। इसे SEBI (Securities and Exchange Board of India) के पास मंजूरी के लिए जमा किया जाता है।

2. प्राइस बैंड तय करना: कंपनी और उसके अंडरराइटर्स (Underwriters) एक प्राइस बैंड (Price Band) तय करते हैं, जिसमें IPO के शेयरों की कीमत होती है।

3. सब्सक्रिप्शन: निवेशक IPO में आवेदन करते हैं और शेयर खरीदने के लिए बोली लगाते हैं। सब्सक्रिप्शन तीन श्रेणियों में होता है:

खुदरा निवेशक (Retail Investors)

योग्य संस्थागत खरीदार (Qualified Institutional Buyers - QIBs

गैर-संस्थागत निवेशक (Non-Institutional Investors - NIIs)

4. शेयर अलॉटमेंट: मांग के आधार पर शेयर आवंटित किए जाते हैं। यदि मांग अधिक हो तो शेयर आवंटन लॉटरी के माध्यम से होता है।

5. स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्धता: शेयर बाजार में लिस्टिंग के बाद IPO का शेयर ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध हो जाता है।

IPO में निवेश के फायदे और जोखिम

फायदे:

1. उच्च रिटर्न की संभावना: यदि कंपनी सफल होती है तो निवेशकों को शेयर की कीमत में वृद्धि से अच्छा लाभ हो सकता है।

2. डायवर्सिफिकेशन: पोर्टफोलियो में विविधता लाने का अवसर मिलता है।

3.कंपनी के शुरुआती ग्रोथ का लाभ: नई कंपनी में निवेश करने पर आपको शुरुआती विकास का हिस्सा बनने का मौका मिलता है।

जोखिम:

1. अस्थिरता: लिस्टिंग के तुरंत बाद शेयर की कीमतों में उतार-चढ़ाव हो सकता है।

2. अज्ञात प्रदर्शन: IPO कंपनियों का भविष्य अनिश्चित होता है, खासकर अगर उनका ट्रैक रिकॉर्ड कम हो।

3. अलॉटमेंट का जोखिम: सभी निवेशकों को शेयर नहीं मिल पाते।

4. ओवरवैल्यूएशन: कभी-कभी कंपनियां अपने शेयरों को अधिक कीमत पर बेचने की कोशिश करती हैं।

कैसे निवेश करें?

1. डीमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट खोलें।

2. IPO की घोषणा और प्राइस बैंड की जानकारी प्राप्त करें।

3. IPO का चयन करें जिस कंपनी के आईपीओ में निवेश करना है, उसे सावधानीपूर्वक चुनें।

4. बैंक या नेट बैंकिंग या ब्रोकरेज प्लेटफॉर्म के माध्यम से ASBA (Application Supported by Blocked Amount) आवेदन प्रक्रिया का इस्तेमाल करें।

5. शेयर आवंटन की स्थिति जांचें।

6. शेयर बाजार में लिस्टिंग के बाद ट्रेडिंग शुरू करें।

भारत में प्रसिद्ध IPO

1. रिलायंस पावर (2008)

2. पेटीएम (2021)

3. जोमैटो (2021)

4. नायका (2021)

निष्कर्ष

IPO में निवेश एक रोमांचक और लाभकारी अवसर हो सकता है। लेकिन सही रिसर्च और सावधानी के बिना इसमें जोखिम भी है। यदि आप शुरुआती हैं, तो किसी विशेषज्ञ की सलाह लेकर ही निवेश करें। IPO में निवेश से पहले कंपनी की बैकग्राउंड, वित्तीय स्थिति और बाजार में स्थिति का विश्लेषण करना बेहद जरूरी है।

  

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